शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

अंगना में आईब गेली दुर्गा भवानी लिरिक्स - Angna Mein Aabi Geli Durga Bhawani Lyrics

अंगना में आईब गेली दुर्गा भवानी
मगन भेल इ आय मिथिला के धरती

बहुत जतन सं हम कलश बैसेलियै,
नारियल संग आम्र पल्लव लेलियै,
रंग बिरंगक फूल लोड़ल'लियै,
सजाय लेलियै हम अड़हुल फूलक डाली,
मगन भेल इ आय मिथिला के धरती...

मईट सनलियै हम शिव जी बनेलियै,
मैय्या के संग हम शिव के पूजलियै,
अक्षत चंदन गंगा जल चढ़ा के,
मनाए लेलियै मैय्या भोला के भोरे,
मगन भेल इ आय मिथिला के धरती...

लाले लाल धागा में माला बनेलियै,
मैय्या के गर्दैन में माला पहिरेलियै,
भोग लगाय मा के धूप देखेलियै,
सजाए लेलियै आय लाले रंग चुनरी,
मगन भेल इ आय मिथिला के धरती

तेसर नयन में 'प्रदीप' देखलियै,
त्रिशूली ऊपर में जयंती चढेलियै,
मह-मह भेल सुगन्धित मंदिर,
नमन गेलियै आय मैय्या के बेरी,
मगन भेल इ आय मिथिला के धरती..

गीतकार : मैथिली पुत्र 'प्रदीप'
गायक : राम बाबू झा, पायल मुखर्जी

दर्शन दिय माँ दुर्गा भवानी लिरिक्स - Darshan Diya Maa Durga Bhawani Lyrics

हे माँ.....हे माँ....
नै मांगब सोना माँ, नै मांगब चांदी,
नै मांगब सोना माँ, नै मांगब चांदी,
दर्शन दिह माँ दुर्गा भवानी,
दर्शन दिह माँ दुर्गा भवानी...

एलौ शरणमे माँ बैनक भिखारी,
एलौ शरणमे माँ बैनक भिखारी,
अहाँ चरणके माँ हम छी पुजारी,
अहाँ चरणके माँ हम छी पुजारी,
कि कि सुनाबौ माँ.......,
कि कि सुनाबौ -2
हम अपन कहानी
दर्शन दिह माँ दुर्गा भवानी...

जीवनके भार माँ सौप देलौ सबटा,
जीवनके भार माँ सौप देलौ सबटा,
अही हरु माँ हमर ई बिपदा,
अही हरु माँ हमर ई बिपदा,
जीवन सबाइर दियौ माँ......,
जीवन सबाइर दियौ-2
हे महारानी....
दर्शन दिह माँ दुर्गा भवानी...

दिलीप दरभंगिया’ के बिनती सुनियौ माँ,
दिलीप दरभंगीया’ के बिनती सुनियौ,
बालक अनजान छी क्षमा दान करियौ,
बालक अनजान छी क्षमा दान करियौ,
आश लगौने छी माँ......,
आश लगौने छी -2
अही पर भवानी
दर्शन दिह माँ दुर्गा भवानी...

स्वर - दिलीप दरभंगिया

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में लिरिक्स Maiya Durga Abiyo Mora Angna Mein Song Lyrics

मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में
मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में,
हम रखने छी कस्तूरी चानन में,
हम रखने छी कस्तूरी चानन में,
मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में...

अहाँ दुखहरणी मा भवानी छी
करुणामय माता रुद्राणी छी,
अहाँ दुखहरणी मा भवानी छी
करुणामय माता रुद्राणी छी,
माता करुणा टा झलकै यै आनन में
माता करुणा टा झलकै यै आनन में
मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में...

अहाँ दुष्टक संघारी छी,
अम्बे भक्तक लेल उद्धारी छी,
अहाँ दुष्टक संघारी छी,
अम्बे भक्तक लेल उद्धारी छी,
माता अबियो अय नवरत्न पावन में,
माता अबियो अय नवरत्न पावन में,
मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में...

हम शरण केर आस ताकै छी,
मैय्या दर्शन लेल बाट झाँके छी,
हम शरण केर आस ताकै छी,
मैय्या दर्शन लेल बाट झाँके छी,
कुंज सन्तान कहै यै गायन में
कुंज सन्तान कहै यै गायन में
मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में...
मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में
हम रखने छी कस्तूरी चानन में,
हम रखने छी कस्तूरी चानन में,
मैय्या दुर्गा अबियो मोरा आँगन में

सोमवार, 22 सितंबर 2025

मां भगवती गीत लिरिक्स मैथिली में - Maithili Durga Bhagwati Geet Lyrics

Maithili Durga Geet Lyrics 
मैथिली भगवती गीत लिखा हुआ 

रजनी पल्लवी

रजनी पल्लवी

मैथिली ठाकुर

 भगवती नैना खोलू हे
मैथिली ठाकुर

मैथिली ठाकुर

प्रभाकर मिश्र 'ढुन्नी'

जुली झा

रजनी पल्लवी

रजनी पल्लवी

मैथिली पुत्र प्रदीप

अरविंद सिंह

दिलीप दरभगियाँ

मैथिली पुत्र प्रदीप

मैथिली पुत्र प्रदीप

मैथिली पुत्र प्रदीप

 जननी हे एक अहिं केर आश
मैथिली पुत्र प्रदीप

मैथिली पुत्र प्रदीप

रजनी पल्लवी

मैथिली पुत्र प्रदीप 

मैथिली पुत्र प्रदीप 

मैथिली पुत्र प्रदीप 

रजनी पल्लवी

माधव राय

लक्ष्मीनाथ गोसाई

माधव राय


कुंज बिहारी मिश्रा


दिलीप दरभंगिया


इहो पढ़ब :-

रविवार, 21 सितंबर 2025

दुर्गा चालीसा आरती सहित - Durga Chalisa or Aarti

श्री  दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। 
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। 
तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। 
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। 
दरश करत जन अति सुख पावे॥1॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। 
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। 
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। 
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। 
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥2॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। 
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। 
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। 
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। 
श्री नारायण अंग समाहीं॥3॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। 
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। 
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। 
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। 
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥4॥

केहरि वाहन सोह भवानी। 
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। 
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। 
तिहुँलोक में डंका बाजत॥5॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। 
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। 
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। 
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब। 
भई सहाय मातु तुम तब तब॥6॥

अमरपुरी अरु बासव लोका। 
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। 
तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। 
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। 
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥7॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। 
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। 
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। 
शक्ति गई तब मन पछितायो॥8॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। 
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। 
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। 
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। 
मोह मदादिक सब बिनशावें॥9॥

शत्रु नाश कीजै महारानी। 
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। 
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ । 
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। 
सब सुख भोग परमपद पावै॥10॥

देवीदास शरण निज जानी। 
कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

इहो पढ़ब :- 



दुर्गा जी केर आरती  (Durga Aarti in Hindi)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।
जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को ।
मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको ।।
जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे ।
मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे ।।
जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी ।
मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी ।।
जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति ।।
जय अम्बे गौरी ॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती । 
मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती ।। 
जय अम्बे गौरी ॥

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे ।
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे ।।
जय अम्बे गौरी ॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी ।
मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी ।।
जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों ।
मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू ।। 
जय अम्बे गौरी ॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता ।
मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता ।। 
जय अम्बे गौरी ॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी ।
मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी ।। 
जय अम्बे गौरी ॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती । 
मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती ।। 
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे ।
मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे ।।
जय अम्बे गौरी ॥

शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

मिथिला में पितृपक्ष तर्पण विधान, मंत्र सहित | अगस्त्य तर्पण मंत्र

August Muni Tarpan Mantra | अगस्त्यार्घदान अगस्त्य तर्पण मंत्र | Mithila Tarpan Vidhi | तर्पण विधि मंत्र मैथिली में

देवताक तर्पण सौं देवऋण,ऋषि तर्पण सौं ऋषिऋण आ पितर तर्पण पितृऋण सौं मुक्ति दैत अछि। देव कार्य में सब्य अर्थात बायां कंधा पर जहिना जनेऊ पहिरैत छी।ऋषि काज में मालाकार जहिना माला पहिरै छी आ पितरक काज में अपसब्य अर्थात दायाँ कंधा पर ऊल्टा जनेऊ धारण करी।देव आ ऋषि कार्य पूब मुँहे पितृ कर्म दक्षिण मुँहे किएक त यमलोक  दक्षिणे दिशा में छैक आ पितरक बास उम्हरे छनि।  

• अगस्त्या अर्घ्य दान - 7 सितम्बर 2025
• पितृपक्ष आरम्भ - 8 सितम्बर 2025
• पितृपक्ष समाप्ति - 21 सितम्बर 2025


स्नान ध्यान कय आसन लगा सोना चाँदी ताम्बा या कास्य के वर्तन आगू में राखि कोनो पात्र में कारी तील लय,कुश एकटा आसन तर में दोसरक विरणी बना मध्यमा आ अनामिका में राखि तेसरक दायाँ हाथक अनामिका में पवित्री बना पहिरि,सोनो चानीक पवित्री पहिर सकै छी एकटा कुशक मोडा बना जाहि सौं पितर के तर्पण होई छैक। एकटा कुशक तेकूशा बना वा ओहिना कुश लय  शंख में जल श्वेत फूल अक्षत फल द्रव्य लय दक्षिण मुँहे अगस्त्य तर्पण इ मंत्र से करी-

ॐ आगच्छ मुनि शार्दूल तेजोरासे जगतपते।
उदयंते लंका द्वारे अर्घोऽयं प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ कुम्भयोनि समुत्पन्न मुनीना मुनिसत्तम्।
उदयन्ते लंका द्वारे अर्घोऽयं प्रतिगृह्यताम्।।

पुनः शंख में सब वस्तु लय-
ॐ शंखं पुष्पं फलन्तोयं रत्नानि विविधानि च।
उदयंते लंका द्वारे अर्घोऽयं प्रतिगृह्यताम्।।

तखन काशक फूल लय-
ॐ काश पुष्प प्रतीकाश बह्निमारूत सम्भव।
उदयन्ते लंका द्वारे अर्घोऽयं प्रतिगृह्यताम्।।

तकर बाद कल जोरी इ मंत्र पढि प्रर्थना करी-
ॐ आतापी भक्षितो येन वातापी च महावल:।
समुद्र: शोषितो येन स मेऽगस्त्य: प्रसीदतु।।

ओकर बाद पुनः शंख में सब किछु लय अगस्ति पत्नी के इ मंत्र पढि तर्पण करी-
ॐ लोपामुद्रे महाभागो राजपुत्रि पतिव्रते।
गृह्यणर्घ्यम्मया दत्तं मित्रवारूणि बल्लभे।।


-: वाजसनेयि तर्पण विधान :-
ओहिना कुश सब रखने रहि आ पूब मुँहे सब अंगूली के अग्रभाग जकरा देवतीर्थ कहल जाई छैक जल आ श्वेत या कोनो तील लय इ मंत्र पढैत तर्पण करी-

-: देव तर्पण :-
ॐतर्पणीया देवा आगच्छन्तु।ॐ ब्रह्मास्तृप्यताम्।
ॐ विष्णुस्तृप्यताम्।ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम्।
ॐ देवायक्षास्तथा नागा गन्धर्वाप्सरसोऽसुरा:। क्रूरा: सर्प्पा: सुपर्णास्च तरवो जम्भका: खगा: विद्याधारा जलाधारास्तथैवाकाश गामिन:। निराधाराश्च ये जीवा: पापे धर्मे रताश्चये तेषामाप्यायनायै तद्दीयते सलिलम्मया।।
आब उत्तर मुँहे जनेऊ के मालाकार कय इ मंत्र पढि तर्पण करी -
ॐ सनकादय आगच्छन्तु।ॐ सनकश्चसनन्दश्च सनातन:।कपिलश्चासुरिश्चैव वोढु:पञ्चशिखस्तथा सर्वे ते तृप्तिमायान्तु मद्दत्तेनाम्बुना सदा।

-: ऋषि तर्पण :-
पूब मुँहे जनेऊ मालाकार राखि कूशक मध्य भाग देवतीर्थ से इ मंत्र सं तर्पण-
ॐ मरकच्यादाय आगच्छन्तु।। ॐमरीचिस्तृप्यताम्। ॐ अत्रिस्तृप्यताम्। 
ॐ  अंगिरास्तृप्यताम्। ॐ पुलस्त्यस्तृप्यताम्। ॐ पुलहस्तृप्यताम्। ॐ क्रतुस्तृप्यतेम्। ॐ प्रचेतास्तृप्यताम्। ॐ बशिष्ठस्तृप्यताम्। ॐ भृगुस्तृप्यताम्। ॐ नारदस्तृप्यताम्।

-: दिव्य पितृ तर्पण मंत्र :-
जनेऊ अपशव्य अर्थात दाहिना कंधा पर लय दक्षिण मुँहे इ मंत्र पढि तर्पण करी-
ॐ अग्निष्वात्तास्तृप्यन्तामिदं जलन्तेभ्य: स्वधानम: 3 बेर
ॐ सौम्यास्तृप्यन्तामिदं जलन्तेभ्य: स्वधानम:। 
ॐ हविष्मन्तस्तृप्यन्तामिदं जलन्तेभ्य: स्वधानम:। 
ॐ उष्मास्तृप्यन्तामिदं जलन्तेभ्य: स्वधानम :। 
ॐ वर्हिषदस्तृप्यन्तमिदं जलन्तेभ्य: स्वधानम :। 
ॐ आज्यापास्तृप्यन्तामिदं जलन्तेभ्य: स्वधानम :।

 -: यम तर्पण मंत्र :-
ॐ यमाय नम:।
ॐ धर्माराजाय नम:।
ॐ मृतवे नम:।
ॐ कालाय नम:। 
ॐ अन्तकाय नम:।
ॐ वैवस्वताय नम:।
ॐ सर्वभूतक्षयाय नम:।
ॐऔदुम्वराय नम:।
ॐ दध्नाय नम:।
ॐ नीलाय नम:।
ॐ परमेष्ठने नम:।
ॐ वृकोदराय नम:।
ॐ चित्राय नम:।
ॐ चित्रगुप्ताय नम:।
ॐ चतुर्दशैते यमा: स्वस्ति कुर्वन्तु तर्पिता।

-: पितृ तर्पण मंत्र :-
इ मंत्र सौं सब पितर के मोडा कुश सौं तीन तीन अंजुली जल तील संगे अपशव्य जनेऊ कय अर्थात दायाँ कंधा पर ऊल्टा जनेऊ धारण कय दी-

ॐ आगच्छन्तुमे पितरं इमं गृहं तपोञ्जलिम्।।
ॐ अद्य अमुक गोत्र: पिता अमुक शर्मा तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा -3 बेर। 
ॐ अद्य अमुक गोत्र: पितामहो अमुक शर्मा तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा -3 बेर। 
ॐ  अद्य अमुक गोत्र: प्रपितामहो अमुक शर्मा तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा -3 बेर। 
ॐ तृप्यध्वम्-3 बेर।
ॐ अद्य अमुक गोत्रो मातामहो अमुक शर्मा तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा -3 बेर।  
ॐ अद्य अमुक गोत्र: प्रमातामहो अमुक शर्मा तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा -3 बेर। 
ॐ अद्य अमुक गोत्रो वृद्धप्रमातामहो अमुक शर्मा तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा -3 बेर। 
ॐ तृप्यध्वम् -3 बेर।

ई मंत्र से एक एक अंजली जल स्त्री पितरैनक दी-

ॐ  अद्य अमुक गोत्रा माता अमुकी देवी तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा -1बेर। 
ॐ अद्य अमुक गोत्रा पितामही अमुकी देवी तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा -1 बेर। 
ॐ अद्य अमुक गोत्रा प्रपितामही अमुकी देवी तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा -1 बेर। 
ॐ तृप्यध्वम् -1बेर।
ॐ अद्य अमुक गोत्रा मातामही अमुकी देवी तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा -1 बेर। 
ॐ अद्य अमुक गोत्रा प्रमातामही अमुकी देवी तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा -1 बेर। 
ॐ अद्य अमुक गोत्रा वृद्धप्रमातामही अमुकी देवी तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा -1बेर। 
ॐ तृप्यध्वम्।

आब पत्नी भाई संबन्धी आचार्य आ गुरू के इ मंत्र से तर्पण-
ॐ येऽबान्धवा वा येऽन्यजन्मनि बान्धवा:।
ते सर्वे तृप्तिमायान्तु यश्चास्मत्तोऽभिवाञ्छति।।
ये मे कुले लुप्तिपिण्डा पुत्रदारा विवर्जिता:।
तेषांहि दत्तमक्षय्यमिंदमस्तु तिलोदकम्।।
आब्रह्मस्तम्ब पर्यन्तं देवर्षि पितृ मानवा:।
तृप्यन्तु पितर: सर्वे मातृ मातामहोदय:।।
अतीत कुल कोटीना सप्तद्विपनिवासिनाम्।
आब्रह्म भुवनाल्लोकादिदमस्तु तिलोदकम्।।

आब इ मंत्र से स्नान केलहा भिजलाहा वस्त्र अंगपोछा के गारी जल खसा दी-
ॐ ये चाऽस्माकं कुले जाता अपुत्रा गोत्रिणो मृता:।
ते तृप्यन्तु मया दत्तैर्वस्वनिष्पीडिनोदकम्।।

आब सव्य अर्थात बायां कंधा पर जहिना जनेऊ पहिरल जाई छैक तीन बेर सूर्यदेव के तीन बेर जलक इ मंत्र से अर्घ दी-
ॐ नमोविवस्वते ब्रह्मण भास्वते विष्णु तेजसे। 
जगत्सवित्रे शुचये सवित्रे कर्मदायिने।। 
एखऽअर्घ: ॐ भगवते श्रीसुर्याय नम:। 
ॐ विष्णविष्णुर्हरिर्हरि:। इति।

-: छन्दोग तर्पण विधान मंत्र :-
छान्दोगी सब देव आ ऋषि तर्पण अहि प्रकार अहि मंत्रे दी-
ॐ देवास्तृप्यन्ताम् -3 बेर। 
ॐ ऋषियस्तृप्यन्ताम् -3 बेर।
ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम् -3 बेर।

● पितरक तर्पण वाजसनेयि जकां सबटा हेतै तथा जनेऊ सब जहिना बाजसनेयि में जहिना जहिना राखै केर क्रम छै ओहिना रहतै। 

अगस्ति वला तर्पण जौं संभव नै हुए त देव ऋषि आ पितर के तर्पण अवश्य करी। अमुक के जगह पर अपन अपन पितरक गोत्र आ नाम लेल जेतै  जाहि पितरक जे गोत्र आ जे नाम होईन। नदी वा पोखैर में सेहो तर्पण कय सकै छी।

जौं नै हुए एतेक केल कुशक अभावो हुए त स्नाने काल तीन तीन आँजुर जल  पुरूष पितरक लेल आ एक एक आँजुर जल स्त्री पितरैनक लेल सबहक बेरा बेरी गोत्र आ नाम हृदयस्थ भय लय हुनका नाम सौं अवश्य अर्घ चढादी आ 15 हम दिन अमावस्या तिथि के 11, 5,3, या एकोटा ब्राह्मण भोजन अवश्य करा विसर्जन करी जौ पितरक क्षय तिथि मन हुए त ओहू दिन ब्राह्मण भोजन करा दी।

पितृजीवी के तर्पण नहिं करए चाही।

शनिवार, 9 अगस्त 2025

Chaurchan Puja 2025 in Mithila - Chauth Chandra Puja 2025

मिथिला धरोहर : भादव मासक शुक्ल पक्षक चतुर्थी (चौठ) तिथिमे साँझखन चौठचन्द्र कऽ पूजा होइत अछि जकरा लोक चौरचन पाबनि कहै छथि। एहि बेरा इ पावनि 26 अगस्त (2025) के परत। एहि समय चन्द्रमा कनी काल रहि कऽ डूबि जै छथि। एहि दुर्लभताकऽ कारणेँ लोकमे प्रचलित अछि जे कोनो व्यक्ति के बहुत दिनपर देखबापर कहै छथि जे अहाँ तँ ‘अलखख चान’ (अलक्ष्य चान) भऽ गेलहुँ। पुराणमे प्रसिद्ध अछि जे चन्द्रमा कऽ एहि दिन कलंक लागल छलनि। तेँ एहि समयमे हुनख दर्शनकेँ दोषापूर्ण मानल जैत अछि। मान्यता अछि जे एहि समयक चन्द्रमाकऽ दर्शन करबापर फूसिकऽ कलंक लगैत अछि। एहि दोषक निवारण करबाक लेल "सिंह: प्रसेन" वला मन्त्रक पाठ कैल जैत अछि।

चौरचन पूजा 2025 मे 26 अगस्त, 2025 के अछि।
Chaurchan Puja 2025 Date: 26 Aug 2025, मिथिला पंचांग अनुसार

ई मिथिला सँ भिन्न प्रान्तक व्यवहार थिक। मिथिलामे भादवकऽ इजोरियाकऽ चौठमे मिथ्या कलंक नञि लागय ताहि हेतु रोहिणी सहित चतुर्थी चन्द्रक पूजा होइत अछ।



एहि पावनि सँ जुरल एकटा कथा अछि जे एक बेर गणेश भगवान केर देखि चन्द्रमा हँसि देलैथ, एहिपर ओं चन्द्रमा के सराप देलैथ जे अहाँ कऽ देखबा सँ लोक कलंकी होयत। तखन चन्द्रमा भादव शुक्ल चतुर्थी मे गणेशक पूजा केलनि। ओं प्रसन्न भऽ कहलथिन:- अहाँ निष्पाप छी, जे व्यक्ति भादव शुक्ल चतुर्थीकेँ अहाँक  पूजा कऽ ‘सिंह प्रसेन...’ मन्त्रसँ अहाँक दर्शन करत तकरा मिथ्या कलंक नञि लगतै ओकर सभ मनोरथ पूर्ण होयत।
चौठचन्द्र केर पूजा:- ई चतुर्थी सूर्यास्तक बाद अढ़ाइ घण्टा धरिक, लेल जाइछ। जँ तिथि दू दिन एहि समय म पड़य तँ अगिला दिन व्रत ओ पूजा हो। भरि दिन व्रत कऽ साँझखन अंगना मे पिठार सँ अरिपन देल जाइछ। गोलाकार चन्द्र मण्डलपर केराक भालरि (पात) दऽ ओहिपर पकमान, मधुर, पूड़ी, ठकुआ, पिड़ुकिया, मालपूआ पायस आदि राखी। मुकुट सहित चन्द्रमाक मुँहक अरिपनपर केराकऽ भालरि दऽ रोहिणी सहित चतुर्थी चन्द्रक पूजा उज्जर फूल सँ पच्छिम मुहेँ करी। परिवारक सदस्यकऽ संख्यामे पकमान युक्त डाली आ दहीक छाँछी कऽ अरिपनपर राखी। केराक घौर, दीप युक्त कुड़वार (माटिक कलश), लावन आदिकऽ अरिपनपर राखी। एक-एक डाली, दही, केराक घौर उठाऽ ‘सिंह: प्रसेन....’ मंत्रक संग             ‘दधिशंखतुषाराभम्...’ मन्त्र पढ़ि समर्पित करी। प्रत्येक व्यक्ति एक-एक फल हाथमे लऽ ओहि मन्त्र सँ चन्द्रमाकऽ दर्शन कऽ प्रणाम करी। दक्षिणा उत्सर्ग कऽ प्रसाद ग्रहण करी। चन्द्रमण्डलपर राखल प्रसाद कऽ उपस्थित पुरुषवर्ग ओकर चारू भर गोलाकार पंक्तिबद्ध कऽ पातपर फराक-फराक भोजन कऽ ओही ठाम खैद खूनि गाड़ि दी एकरा मड़र भाङब कहल जाईत अछि। चन्द्रमाक आराधना सँ बहुतो व्यक्ति कऽ कामना पूर्ण भेलनि अछि। मिथिलाकऽ विशेष पर्व चौरचन अपना मे एहि ठामक संस्कृति केर अनेक बिन्दु कऽ समेटने अछि।

मंगलवार, 22 जुलाई 2025

कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै लिरिक्स - Baba Dham Jebai Kamar Sajebai Lyrics

कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै,
हम सब कांवरिया मिल के, 
हम सब कांवरिया मिल के, 
गेबै बजेबै, 
कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै,

सुल्तानगंज से भरी भरी कांवर उठेबै,
सुल्तानगंज से भरी भरी कांवर उठेबै,
धूप, दीप आरती बाबा के देखेबै,
धूप, दीप आरती बाबा के देखेबै,
बम-बम के नारा लऽ कऽ,
बम-बम के नारा लऽ कऽ,
बाबा लग जेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,

गंगा जली भरी-भरी कांवर सजेबै,
गंगा जली भरी-भरी कांवर सजेबै,
बाट ऊच नीच बाबा कोना के जेबै
कतेक दुख सही के बाबा, 
कतेक दुख सही के बाबा, 
गंगा जल चढेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,
हम सब कांवरिया मिल के, 
हम सब कांवरिया मिल के, 
गेबै बजेबै, 
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,

शारदा सिन्हा मैथिली शिव भजन नचारी लिरिक्स - Sharda Sinha Maithili Shiv Bhajan Lyrics

गुरुवार, 17 जुलाई 2025

पुर्णिमा के चान जकाँ लिरिक्स - Purnima Ke Chand Jaka Lyrics

पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ,
हे छोड़ू ये, साज श्रृंगार,
ओहिना चमकैत छी ये,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ,
हे छोड़ू ये,
छोड़ू ये कनियाँ काजर छोड़ू,
छोड़ू ये कनियाँ फैशन छोड़ू,
छोड़ू ये कनियाँ काजर छोड़ू,
छोड़ू ये कनियाँ फैशन छोड़ू,
हे छोड़ू ये, साज श्रृंगार,
ओहिना चमकैत छी ये,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ…..

अँइख काजर बिन कारी,
ठोरहक मधुरिम लाली,
लोच लजाबै पुरबा,
पवन बसंत मतवाली,
हे छोड़ू ये, साज श्रृंगार,
ओहिना चमकैत छी ये,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ…..

झनन झनन झिंगुर बाजै,
खनन खनन हाथक चूड़ी,
कोयल की बाजत ऐहेन,
मधुर लेबल बोली,
हे छोड़ू ये, साज श्रृंगार,
ओहिना चमकैत छी ये,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ…..

जेकरा पठाओल बिधना,
गढ़ि कऽ सुन्दर नारी,
तकरो निहारैत हेता,
मोन में अचरज भारी,
हे छोड़ू ये, साज श्रृंगार,
ओहिना चमकैत छी ये,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ,
हे छोड़ू ये,
छोड़ू ये कनियाँ काजर छोड़ू,
छोड़ू ये कनियाँ फैशन छोड़ू,
छोड़ू ये कनियाँ काजर छोड़ू,
छोड़ू ये कनियाँ फैशन छोड़ू,
हे छोड़ू ये, साज श्रृंगार,
ओहिना चमकैत छी ये,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ,
पुर्णिमा के चान जकाँ, चमकैत छी आहाँ।

(गायक - कुंज बिहारी मिश्रा)